कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का संक्षिप्त इतिहास

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अंतिम अद्यतन : 30-Jul-2014
 

कोलकाता देश का प्रारंभिक बड़ा बंदरगाह है। मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा ब्रिटिश उपनिवेशकों को पूर्वी भारत में व्यापार करने का अधिकार दिए जाने के समय से यह भारत का प्रमुख बंदरगाह रहा है। इस बंदरगाह के साथ कोलकाता शहर का पुराना संबंध है।

समय के साथ इस विशाल देश पर शासन करने का अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों से निकलकर ब्रिटिश शासकों के पास चला गया। 1870 में बंदरगाह आयोग की नियुक्ति के साथ कोलकाता बंदरगाह को सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत लाया गया।

प्रारंभ में कोलकाता बंदरगाह की स्थापना ब्रिटिश उपनिवेशों की रक्षा और हितों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। लेकिन 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के साथए बंदरगाह को राष्ट्रीय हित में अपना योगदान के लिए आमंत्रित किया गया। बंदरगाह ने द्वितीय विश्व युद्ध और देश के विभाजन के बाद अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारी संभाली।

कोलकाता बंदरगाह जो किसी समय देश में सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह माना जाता थाए वह अब भी प्रमुख बंदरगाह बना रहा और पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार कहलाया। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित यह विशाल पूर्वी भारत में और हिमालय की सीमा पर स्थित दो राज्यों नेपाल और भूटान में व्यापार.वाणिज्य के क्षेत्र में मार्गदर्शक कारक बना रहा।

मेजर पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम.1963ए के लागू होने के साथ कोलकाता बंदरगाह के आयुक्तों ने जनवरी 1975 तक बंदरगाह का कर्यभार संभाला। कोलकाता बंदरगाह का इतिहास संघर्ष और सफलता की सतत कहानी है . निरंतर विकासए सुधार और उपलब्धियों की गाथा है। कोलकाता बंदरगाह विषमताओं और विरोधाभासों का बंदरगाह है।

कोलकाता बंदरगाह भारत का एकमात्र नदी बंदरगाह है। यह नदी के रेतीले तट से 232 किमीण् दूरी परए धारा की प्रतिकूल दशा में स्थित है। भारत के प्रमुख बंदरगाहों के बीच यह निस्संदेह सबसे लंबा नौपरिवहन मार्ग है। यह दुनिया के सबसे लंबे नौपरिवहन मार्गों में से भी एक है।

किडरपोर के एक छोर पर यह सबसे निम्न तल वाला है तो दूसरे छोर पर रेतीला है। भारत और दुनियाभर के बंदरगाहों के बीच यह सबसे गहरे तल ;अधिक से अधिक 50 मीटरद्ध वाला है। 1877 मेंए बंगाल के उपराज्यपाल द्वारा इसे ष्ष्यूरोप के बाहर के सबसे अच्छे और सुविधाजनक बंदरगाहों में से एकष्ष् के रूप में वर्णित किया गया था। 232 किलोमीटर लंबे नौपरिवहन मार्ग पर अपने विशाल और विविधतापूर्ण तटों की उपलब्धता के कारण अभी भी देश के विभिन्न बंदरगाहों के बीच इसकी ख्याति बरकरार है।

इसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। इसलिए यह हर निर्धारित लक्ष्य को पार करने में सक्षम रहा है और बंदरगाह संबंधी हर गतिविधि में रिकॉर्ड स्थापित करने में सफल रहा है। सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और दक्षता के कारण ही इसने यह उपलब्धियां हासिल की हैं। हाल ही मेंए कोलकाता बंदरगाह को देश में सबसे कामयाब बंदरगाह के रूप में चुना गया है।

समुद्र से 126 मील दूर होने के बावजूदए कोलकाता बंदरगाह कोए इस महाद्वीपीय देश में प्रवेश के पूर्वी द्वार के रूप में उत्तम विकल्प माना गया है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्टए भारत के अग्रणी और सर्वोत्तम बंदरगाहों में से एक है। इसकी विशाल तटक्षेत्रीय सीमा में भारतीय राज्यों ; संपूर्ण पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र द्ध का लगभग आधा भाग और हिमालय की सीमा से लगे दो पड़ोसी देशों.नेपाल और भूटान समाहित हैं। इसके दो डॉक सिस्टम हैं.कोलकाता मेंए तेल घाट के साथ बजबज पर कोलकाता डॉक सिस्टम और हल्दिया में हल्दिया डॉक कॉम्प्लैक्स.ये आकर्षक प्रस्तावों के साथ.साथ बहुत.सी सुविधाओं के संयोजन स्थल हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायतों के लिए टोल फ्री नंबर डायल करें: 1800 345 3984
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